जिनकी तबले की धुन पर दुनिया कहती है “वाह उस्ताद”! महज 12 साल की उम्र से ही जिन्होंने संगीत की दुनिया में अपने तबले की आवाज़ को बिखेरना शुरू कर दिया था। जिन्हें तबला विरासत में मिली है। हाँ! मैं बात कर रहा हूँ “उस्ताद ज़ाकिर हूसेन” की। १९५१ में उस्ताद अल्लाह रक्खा के घर जन्मे उस्ताद ज़ाकिर हूसेन आज तबले का पर्यायवाची बन चुके हैं। उस्ताद जी भारत में तो विख्यात हैं ही साथ ही उन्होंने दुनिया के कई कोनों में भी अपने तबले की धुन से लोगों को अभिभूत किया है। उस्ताद जीं ने अपने इंटरनेशनल करियर की शुरूआत बहुत छोटी उम्र में अमरीका से की। उन्होंने वहां
कई कॉन्सर्ट किए। उन्होंने मलयालम फिल्म वनाप्रसतम में भारतीय म्यूजिक एडवाइजर के रूप में कंपोज, परफॉर्म और एक्ट किया। इस फिल्म ने 2000 इस्तानबुल इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल (टर्की), 2000 मुंबई इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल (इंडिया) और 2000 नेशनल फिल्म अवॉर्ड (इंडिया) जीता। इन्हें सन २००२ (2002) में भारत सरकार द्वारा कला के क्षेत्र में पद्म भूषण से भी सम्मानित किया जा चुका है। उस्ताद ज़ाकिर हूसेन ने अपनी शिक्षा सेंट ज़ेवीअर कॉलेज मुंबई से पूरी की है। बचपन में उस्ताद जी के पिताजी उन्हें पखावज की तालीम दिया करते थे। उस्ताद जी तबले के पंजाब घराने से आते हैं। एक इंटर्व्यू में जब उस्ताद जी से पूछा गया की उन्हें तबले के अलवा और कौन से वाद्य पसंद हैं तो उन्होंने जवाब दिया कि उन्हें पीऐनो भी बहुत पसंद है। उस्ताद जी ने दुनिया भर के नाम- चीन कलाकारों के साथ यादगार प्रस्तुतियाँ दीं हैं। मुझे उस्ताद जी और पंडित जसराज की जुगलबंदी सबसे ज़्यादा पसंद है।
अगर बात करें उस्ताद जी की तबले की धुन से तो वे ट्रेन की चलने की आवाज़ से ले कर घोड़े की दौड़ने की आवाज़ तक तबले से निकाल सकते हैं। मुझे अभी तक उन्हें सामने से सुनने का सौभाग्य नहीं मिला है किंतु, मैं उनकी जितनी रिकॉर्डिंग सुनता हूँ उतना ही उन्हें सामने से सुनने की इच्छा बढ़ती जाती है।
उस्ताद जी की उपलब्धियां एक पन्ने में समेटने लायक नहीं है इसलिय आज के लिए बस इतना ही। आगे फिर मिलेंगे और संगीत पर चर्चा जारी रखेंगे।।
कई कॉन्सर्ट किए। उन्होंने मलयालम फिल्म वनाप्रसतम में भारतीय म्यूजिक एडवाइजर के रूप में कंपोज, परफॉर्म और एक्ट किया। इस फिल्म ने 2000 इस्तानबुल इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल (टर्की), 2000 मुंबई इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल (इंडिया) और 2000 नेशनल फिल्म अवॉर्ड (इंडिया) जीता। इन्हें सन २००२ (2002) में भारत सरकार द्वारा कला के क्षेत्र में पद्म भूषण से भी सम्मानित किया जा चुका है। उस्ताद ज़ाकिर हूसेन ने अपनी शिक्षा सेंट ज़ेवीअर कॉलेज मुंबई से पूरी की है। बचपन में उस्ताद जी के पिताजी उन्हें पखावज की तालीम दिया करते थे। उस्ताद जी तबले के पंजाब घराने से आते हैं। एक इंटर्व्यू में जब उस्ताद जी से पूछा गया की उन्हें तबले के अलवा और कौन से वाद्य पसंद हैं तो उन्होंने जवाब दिया कि उन्हें पीऐनो भी बहुत पसंद है। उस्ताद जी ने दुनिया भर के नाम- चीन कलाकारों के साथ यादगार प्रस्तुतियाँ दीं हैं। मुझे उस्ताद जी और पंडित जसराज की जुगलबंदी सबसे ज़्यादा पसंद है।
अगर बात करें उस्ताद जी की तबले की धुन से तो वे ट्रेन की चलने की आवाज़ से ले कर घोड़े की दौड़ने की आवाज़ तक तबले से निकाल सकते हैं। मुझे अभी तक उन्हें सामने से सुनने का सौभाग्य नहीं मिला है किंतु, मैं उनकी जितनी रिकॉर्डिंग सुनता हूँ उतना ही उन्हें सामने से सुनने की इच्छा बढ़ती जाती है।
उस्ताद जी की उपलब्धियां एक पन्ने में समेटने लायक नहीं है इसलिय आज के लिए बस इतना ही। आगे फिर मिलेंगे और संगीत पर चर्चा जारी रखेंगे।।
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