Wednesday, 6 April 2016

यह ब्लॉग आप क्यों पढ़ें ...

मैं अंकुर विप्लव, जिसे  संगीत से बेहद लगाव है। ब्लॉग की दुनिया में मेरा यह पहला क़दम है। यह मेरी पहली पोस्ट है। मैं बिहार के पूर्णिया शहर में रहता हूं।  कभी यह शहर शास्त्रीय संगीत का गढ़ हुआ करता था। वैसे आज भी यहाँ लोगबाग़ शास्त्रीय संगीत को बड़े चाव से सुनते हैं। 

मैं 12वीं का छात्र हूं। पढ़ाई के संग शास्त्रीय संगीत की  भी तालीम ले रहा हूँ। शुरुआत में पूर्णिया में राजकुमार श्यामानन्द सिंह के शिष्य श्री अमरनाथ झा से हमने शास्त्रीय संगीत के बारे में जाना। उन्होंने ही मुझे  शास्रीय संगीत  की बारीकी  से अवगत  करवाया| यह काम चार साल की उम्र से आरम्भ हुआ जो जारी है और ताउम्र जारी रहेगा क्योंकि संगीत की पढ़ाई पूरी कभी नहीं होती है। 

आगे चलकर 2011 से शास्त्रीय संगीत की पुरातन परंपरा -गुरू- शिष्य परंपरा के अंतर्गत आगरा घराना के
 उस्ताद वसीम अहमद खान से संगीत सीख रहा हूं .

अब, ब्लॉग के शीर्षक की बात। मैंने अपने ब्लॉग का टाइटल 'तानपुरा' चुना है क्योंकि 'तानपुरा' की सहायता के बिना आप रियाज़ ही नहीं कर सकते।  इस वाद्ययंत्र से मुझे बेहद प्यार है इसलिए मैंने अपने ब्लॉग का शीर्षक 'तानपुरा' रखा। 

यह मेरी पहली पोस्ट है। यह ब्लॉग अब जारी रहेगा, शास्त्रीय संगीत के राग की तरह.....

7 comments:

  1. हमारा क्षेत्र शास्त्रीय संगीत के मामले में बेहद उर्वर है। ब्लॉग की दुनिया में आपका स्वागत है। हमें भी तानपुरा की झंकार जिससे सातों सुर कौन कहे, बाईसों श्रुतियाँ एक साथ झंकृत होती है।

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  3. May God bless you! May you achieve new heights in your life!

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