मैं पिछले तीन दिनों से कोलकाता में था अपने गुरूजी उस्ताद वसीम अहमद खान के पास। कोलकाता से मुझे लगाव है, संगीत की ही तरह। मैं इस शहर में डूब जाता हूं। यहाँ के वातावरण में ऐसा लगता है मानो इसमें सुर-ताल-राग का वास हो।
इस शहर की मिठास की तो बात तो और भी प्यारी है। चाहे वो यहाँ की भाषा हो ,संगीत हो या स्वादिष्ट मिठाइयाँ, सभी में मिठास भरपूर है. ये शहर अपनी सभ्यता और संस्कृति को संजो कर रखने में बाकी शहरों से बहुत आगे है.
कोलकाता गुरुदेव रविन्द्रनाथ टैगोर के शब्दों में रचा बसा है। रवींद्र संगीत और रवींद्र नृत्य आज भी यहाँ के लागों में बहुत प्रिय है. आपको हर गली-मोहल्ले में लोग संगीत ,नृत्य की शिक्षा लेते मिल जायेंगे.यह शहर ऐसा है की मानो पुरे शहर में सरस्वती का वास हो.
इस शहर ने कई बड़े दिग्गज कलाकार दिए हमारे देश को जिनमे से कुछ हैं -
पंडित रविशंकर. जिनको सितार की झंकार तो पुरे विश्व में आज भी गूँजती है। पंडित जी को भारत रत्न से भी नवाज़ा गया है.
पंडित निखिल बनर्जी की सितार की झंकार की तो बात ही नहीं ! इन्होंने एक अलग ही पहचान बनायीं है. बाबा अल्लाउद्दीन खान के शागिर्द होने का सौभाग्य प्राप्त है इन्हें।
अगर मैं आज के कलाकारों के नाम लूँ तो कितनो का नाम लिखूँ. उस्ताद राशिद खान , विदुसी गिरजा देवी जी ,पंडित अजय चक्रबर्ती आदि . हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत का भाविष्य भी कोलकाता के इन कलाकारों के हाथों में सुरक्षित है आगरा घराने के उस्ताद वसीम अहमद खान ,पंडित उल्हास खसलकर के शिष्य पंडित ओमकार ददरकर ,उस्ताद मशकूर अली खान के शागिर्द उस्ताद अरशद अली खान के हाथों में सुरक्षित है.
कोलकाता मात्र संगीत के लिए ही नहीं बल्कि कला की दूसरी विधाओं में भी अपनी ऊंची पहचान रखता है.फिल्म कला के क्षेत्र में सत्यजीत राय और चित्र कला में परितोष सेन जैसे लोगों ने सारी दुनिया में भारत की अलग पहचान बनाई है.
मैं खुद को भाग्यशाली मानता हूँ कि कहीं न कही इस शहर से जुड़ गया हूँ. मै संगीत की अपनी शिक्षा इसी शहर में रह रहे उस्ताद वसीम अहमद खान से ले रहा हूँ इसलिए ये शहर मेरे लिए हमेशा बहुत खास रहेगा.
No comments:
Post a Comment