Pt Jasraj |
खुद के रियाज़ के बाद जब मैं अपने सी.डी के संकलनों से कुछ गाने सुनता तो मन झूम उठता है। जानते हैं, आज भोर की शुरुआत राग भैरव से हुई. आपको पता ही होगा कि इस राग को पहला राग भी माना गया है.
ऐसी मान्यता है की जब भगवान शिव हिमालय पर बैठ कर ध्यान कर रहे थे तो उनके मन में राग भैरव ही चल रहा था . राग भैरव हो और वो भी पंडित जसराज के मधुर आवाज़ में और वो भी " मेरो अल्लाह मेहरबान " जैसी बंदिश हो तो सुबह की बात ही कुछ और होती है.
Ustad Rashid Khan |
राग भैरव के बाद राग तोड़ी की बारी आती है . उस्ताद राशिद खान के दमदार आवाज़ में इस राग का मजा ही कुछ और है. राग तोड़ी एक ऐसा राग है जो किसी तनाव ग्रस्त इंसान को भी खुश कर सकता. " अब मोरी नइयां " बंदिश सुनकर ऐसा लगता है मानो यह राशिद खान के गले के लिए ही बना हो. उस्ताद जी रामपुर-सहसवान घराने से आते हैं . ये घराना अपने तान कारी और तराने के लिए विख्यात है.
सुबह में अगर गाना सुने और भारत रत्न पंडित भीमसेन जोशी की आवाज़ ना सुने तो ऐसा लगता जैसे कुछ बाँकि रह गया हो.राग
Pt Bhimsen Joshi |
परंपरा के अनुसार अंत तो हमेशा राग भैरवी से ही होता है और भैरवी हो मेरे गुरु जी आगरा घराने के उस्ताद वसीम अहमद खान की सधी हुई , मधुर और दमदार आवाज़ में बंदिश " बनाओं बत्तियां चलो काहे हो झूठी " हो तो सच में रविवार की शुरुआत इससे अच्छी हो ही नहीं सकती . राग भैरवी को सुन के मन को एक अजीब सी शांति मिलती है.
Ustad Waseem Ahmed Khan |
सुर, ताल, राग , रागनियों में डूबा रविवार का भोर, सच में एक अलगअनुभूति देती है !
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