Sunday 15 May 2016

आज ध्रुपद और ठुमरी की बात !

Pt Umakant Gundecha 
यह बिता सप्ताह मेरे जैसे संगीत प्रेमी के लिए बहुत ख़ास था।आपलोगों ने तो पंडित उमाकांत गुंडेचा और अप्पा जी (विदुषी गिरजा देवी जी ) का नाम सुना ही होगा। एक सुप्रसिद्ध ध्रुपदिया तो एक प्रसिद्ध ठुमरी गायिका। इन दोनों का जन्मदिन इस बीते सप्ताह के आठ तारीख़ को था। 

पहले मैं बात ध्रुपद की करूँगा।ध्रुपद शास्त्रीय संगीत की पुरातन परम्परा है और ख़याल, ठुमरी आदि की उत्पत्ति इसी से मानी गयी है। ध्रुपद एक आध्यात्मिक और गम्भीर प्रकृति का संगीत है जिसमें श्रोताओं को एक अद्भुत शांति और सुकून मिलता है।ध्रुपद चार शैलियों में गाया जाता है -गौहर,डागर ,खनधार और नौहर।

डागरवाणी  ध्रुपद शैली के आज के एक सुप्रसिद्ध ध्रुपदियों में से एक पंडित उमाकांत गुंडेचा की मैं बात करना चाहूँगा।  इन्हें २०१२ में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से नवाज़ा गया है।इन्होंने अपनी संगीत की शिक्षा उस्ताद ज़ीया फरुद्दीन डागर और उस्ताद ज़ीया मोहिद्दीन डागर से ली है। मैं जब भी इनकी आवाज़ में राग यमन की नोम-तोम अलाप सुनता तो रोम रोम पुलकित हो जाता है। 

इन्होंने ध्रुपद गायकी को लोकप्रिय  करने के लिए भोपाल में एक ध्रुपद केंद्र नाम से एक गुरुकुल खोल रखा है जिसमें कई देश -विदेश के बच्चे ध्रुपद की तालीम  लेते हैं। 

पंडित जी ने तुलसीदास  के पदों को इस प्रकार कर्णप्रिय बना के लोगों के बीच ध्रुपद शैली में प्रस्तुत किया है की ये आज काफ़ी लोकप्रिय हो गये है।इन्होंने देश - विदेश में कई बड़े संगीत सम्मेलनों में अपनी प्रस्तुति दे कर ध्रुपद को लोकप्रिय करने का अनवरत प्रयास किया है।

अब बात ठुमरी की।ठुमरी भारतीय संगीत की एक गायन शैली है जिसमें रस,रंग और भाव  की प्रधानता होती है। इसकी बंदिशें ज़्यादतर शृंगार रस में होती हैं।अगर ठुमरी की बात करें तो मन अपने आप विदुषी गिरजा देवी जी की मधुर आवाज़ में डूब जाती है। बाबुल मोरा नेहर छूटा जाए उनकी आवाज़ में एक बहुत प्रसिद्ध ठुमरी है। गिरजा देवी जी का जन्म वाराणसी में  हुआ था। इन्होंने अपनी संगीत की शिक्षा श्री सरज़ू  प्रसाद मिश्र  से ली । ये बनारस घराने से आती हैं और अभी ये कोलकाता के आइटीसी एसआरए में गुरु है।    
Vidushi Girja Devi


मैंने तो इन्हें कभी लाइव नहीं सुना किंतु इनके देवीय व्यक्तित्व को ज़रूर देखा जब मैं आइटीसी के वार्षिक संगीत सम्मेलन में ४ वर्ष पूर्व गया था। ठुमरी के साथ साथ इन्हें ख़याल,टप्पा ,दादरा ,होली आदि गाने में भी महारथ हासिल है।२०१५ में भारत सरकार ने इन्हें पद्मविभूषण से भी सम्मानित किया।बनारस में पली-बढ़ी विदुषी गिरजा देवी की आवाज़ को सुनकर मुझे अंग्रेज़ी का एक शब्द "listener's feast" बिलकुल सटीक लगता इनके मधुर आवाज़ के लिए।

एसे महान गुणीजनों को मेरा सत-सत नमन।संगीत पर और करेंगे बातें अगली बार जब मिलेंगे हम।

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